प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ (म. प्र)

मध्याह्न भोजन सांझा चूल्हा रसोइया संघ

परिचय


कुछ समय पहले तक यह सोचना भी संभव नहीं था कि गांव देहात और दूरदराज वनांचल में रहने वाली अनपढ़ गरीब महिलाए जिनमें से कईयों ने तो शहर की सूरत तक नहीं देखी अपना घर और गांव मैं पूरा जीवन व्यतीत कर देने वाली गांव की गरीब महिलाओं का कोई अपना संगठन हो सकता है? गांव में तो क्या स्कूल के मास्टर या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सामने अपनी बात को रखने में असमर्थ यह महिलाएं क्या कभी अपना खुद का संगठन खड़ा कर सरकार की आंख में आंख डालकर बात करने की स्थिति में आ सकती हैं? लेकिन यह सब संभव हुआ श्रीमान ओम प्रकाश बघेल के दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते जिन्होंने एमडीएम बनाने वाली महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी इन महिलाओं के शोषण को रोकने और इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए संगठित करने का निर्णय लिया। कुछ ही महिलाओं के साथ शुरू हुआ यह पुनीत कार्य शुरू में तो सबको मजाक लगा लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया और संगठन शक्तिशाली होता गया तो लोग स्वतः ही संगठन से जुड़ने लगे आज प्रांतीय महिला समूह संगठन प्रदेश के सबसे बड़े महिलाओ समूह है। 9 साल पहले भोपाल जिले की बेरसिया तहसील से कुछ बहनों के साथ शुरू किया गया उन्हें शोषण से बचाने न्याय दिलाने का अभियान, "अकेला ही चला था ज़ानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए कारवां बनता गया"। किसी शायर शेर की तरह सत्य प्रतीत हुआ। 25 नवम्बर 2012 को बैरसिया में सिर्फ 900 बहनों के साथ शुरू किए गए अभियान से बहने ऐसी जुड़ी की आज महिला समूह संघ 97 हज़ार स्कूलों में मध्यान्ह भोजन चलाने वाली2.50 लाख (ढाई लाख) महिलाओं का प्रदेश में सबसे बड़ा समूह संगठन बन गया है। हमेशा समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले बेरसिया तहसील के ओम प्रकाश बघेल को स्कूलों में एमडीएम बनाने वाली महिलाओं के शोषण की चिंता सताती रहती थी जनपद कार्यालय में बैठने की वजह से उन्हें एमडीएम प्रभारी और दूसरे अधिकारियों द्वारा समूह से जुड़ी महिलाओं के शोषण की जानकारी थी। बिना किसी नोटिस के और बिना किसी किसी कारण के समूह को हटा देना आम बात थी ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली समूह से जुड़ी गरीब महिलाओं की व्यथा ओम प्रकाश बघेल से देखी नहीं गई और उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती सरिता बघेल के सहयोग से समूह से जुड़ी बहनों को न्याय दिलाने शोषण से बचाने का निर्णय कर लिया। इसके लिए उन्होंने पहले बेरसिया में महिलाओं को संगठित करने का निर्णय लिया श्रीमती सरिता बघेल की अध्यक्षता में आयोजित हुई पहली बैठक में सिर्फ 900 महिलाएं ही एकत्रित हो सकी। तब किसी को पता नहीं था कि आज जो 900 महिलाओं के रूप में कोपल रूपी पौधा रूपा जा रहा है वह कभी ढाई लाख महिलाओ के समूह का बड़ा केंद्र बन जाएगा। आज मध्य प्रदेश महिला समूह संघ के माध्यम से 96 हजार से अधिक स्कूलों में मध्यान्ह भोजन पकाने वाली महिलाएं के साथ रसोईया भी जुड़ी हुई हैं संगठन की शक्ति ही सर्वोपरि होती है यह बात महिला समूह संघ कई बार दिखा चुका है। किसी भी जिले में विकासखंड में किसी समूह से जुड़ी महिलाओं के साथ शोषण और अन्याय की जानकारी दिखाई नहीं देती है। महिलाओं को न्याय मिले वह संगठन के माध्यम से आत्मनिर्भर हो और सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ लेकर समूह को आर्थिक रूप से मजबूत बनाए यही उद्देश्य लेकर संगठन पूरे प्रदेश में काम कर रहा है। संगठन को चलाने के लिए विधिवत रूप से प्रदेश कार्यकारिणी संभागीय कार्यकारिणी के साथ जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया है संगठन का विस्तार ब्लॉक स्तर तक कर अध्यक्ष उपाध्यक्ष सचिव महासचिव सहित सभी पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं। महिलाएं अपने समूह संगठन को मजबूत बनाने के लिए अंशदान भी देती है जिसका नियम संगठन के बाइलॉज में समाहित है। दिए गए अंशदान का हिसाब पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन संस्था की बेबसाइट पर देखा जा सकता है। जिला स्तरीय सदस्यों संभाग स्तरीय और प्रदेश स्तरीय सदस्यों एवं पदाधिकारियों को अपने अपने पदों के हिसाब से बायलॉज के अनुसार अंशदान देना पड़ता है। सरकार स्तर पर बात रखने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के साथ प्रदेश पदाधिकारी और मीडिया प्रवक्ता समय-समय पर जिला स्तर व संभागीय स्तर पर पदाधिकारी व सदस्यों से वर्चुअल बैठक लेते हैं प्रदेश अध्यक्ष कई बार समूह से जुड़ी महिलाओं की बात प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान के समक्ष रख चुके हैं। नारी शक्ति सिर्फ नारे तक सीमित ना रहे वह शक्तिशाली होकर अपने अधिकार को हासिल करने वाली बने यही संकल्प और उद्देश महासंघ का रहा है। तिनकों की तरह अलग-अलग गांव दूरदराज क्षेत्रों में बिखरी शोषण सह रही एमडीएम चलाने वाले स्व सहायता समूहो से जुड़ी बहनों को प्रांतीय महिला समूह संघ के माध्यम से एकजुट करने में सफल रहा, सकारात्मक प्रयास समूह से जुड़ी महिलाओं की उन्नति के लिए मील का पत्थर साबित होगा। प्रांतीय महिला समूह के माध्यम से अलग-अलग बिखरे मोतियों को एकत्रित कर माला के रूप में पिरोने का काम भली-भांति किया गया है। एकता की यह माला संगठन के माध्यम से दिन-ब-दिन बड़ी और शक्तिशाली होगी एवं महिला समूह की आर्थिक सामाजिक उन्नति में सहायक होगी ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है। कुछ समय पहले यह सोचना भी संभव नहीं था की स्कूलों में एमडीएम बनाने वाली वह महिलाएं जो अधिकतर अनपढ़ होकर शहर का रास्ता तक नहीं जानती थी जो अधिकारियों के कामकाज से अनजान थी जो हमेशा अधिकारियों के शोषण का शिकार होती रहती थी। इन्हें एकजुट भी किया जा सकता है। यह असंभव काम को प्रांतीय महिला समूह संघ के माध्यम से पूरा क्या जा चुका है। आज समूह से जुड़ी बहने भोपाल तक जाकर अपना हक मांग रही है। गांव से दूसरे गांव की बात छोड़ो प्रदेश के हर जिले और हर गांव में आज प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ अपने पकड़ बना चुका है और बहनों को उनके अधिकार दिलाने के लिए बड़े स्तर पर लड़ाई लड़ी जा रही है जिसके सकारात्मक परिणाम कई बार हमारे सामने आए हैं।